🌑 अध्याय 5 – तांत्रिक की वापसी
जंगल अब वीरेंद्र और वैदेही के लिए डर का स्थान नहीं रहा था।
हर रात दोनों बरगद के नीचे मिलते, बातें करते, और समय जैसे ठहर जाता।
वैदेही की आँखों में अब उदासी कम और उम्मीद ज़्यादा थी।
लेकिन जहाँ प्रेम का उजाला जन्म लेता है, वहाँ अंधकार हमेशा उसे निगलने की कोशिश करता है।
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🌬️ अशुभ संकेत
एक रात अचानक जंगल में अजीब हलचल हुई।
हवा का झोंका इतना तेज़ था कि पेड़ों की शाखाएँ आपस में टकराकर चटखने लगीं।
ज़मीन काँपी और दूर कहीं से काले धुएँ का गुबार उठा।
वैदेही का चेहरा पीला पड़ गया।
उसने भयभीत स्वर में कहा—
“नहीं… ये संभव नहीं! सदियों बाद भी… वो लौट आया है।”
वीरेंद्र चौंक गया।
“कौन?”
वैदेही ने काँपती आवाज़ में कहा—
“वही… जिसने मुझे श्राप दिया था।
तांत्रिक!”
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🔥 तांत्रिक का आगमन
काले धुएँ से एक परछाई निकली।
उसकी आँखें अंगार जैसी लाल थीं, बाल बिखरे हुए, और हाथों में हड्डियों की माला।
उसकी आवाज़ गर्जना जैसी थी—
“वैदेही!
मैंने तुझे श्राप देकर अमर बनाया था।
और अब देख रहा हूँ… तू फिर से प्रेम करने की जुर्रत कर रही है?”
उसकी नज़र वीरेंद्र पर गई।
“और तू… इंसान होकर मेरी बंदिनी को छुड़ाना चाहता है?
मूर्ख!”
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⚡ चुनौती
वीरेंद्र तलवार निकालकर आगे बढ़ा।
“प्रेम बंधन नहीं होता, तांत्रिक।
अगर तू उसे कैद में रखना चाहता है, तो पहले मुझे हराना होगा।”
तांत्रिक ज़ोर से हँसा।
उसने मंत्र पढ़ा और उसकी हथेली से आग की लपटें निकलकर आसमान को चीर गईं।
पेड़ धू-धू कर जलने लगे, ज़मीन काँप उठी।
वैदेही चिल्लाई—
“वीरेंद्र! ये साधारण दुश्मन नहीं है।
ये वही है जिसने अरिंदम को मार डाला था। सावधान रहना!”
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🌌 युद्ध का आरंभ
तांत्रिक ने भूतों की आंधी खड़ी कर दी।
सफ़ेद धुँध में दर्जनों भूत वीरेंद्र पर झपट पड़े।
वीरेंद्र ने तलवार से उनका सामना किया, वार पर वार करता गया।
लेकिन हर वार के साथ तांत्रिक और शक्तिशाली होता जा रहा था।
वो गरजा—
“प्रेम मेरी विद्या को चुनौती नहीं दे सकता!
तेरी मौत तय है!”
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💔 वैदेही की दुविधा
वैदेही के मन में डर और प्रेम का संघर्ष था।
वो जानती थी—तांत्रिक की शक्ति से सीधे भिड़ना आसान नहीं।
लेकिन अगर वीरेंद्र हार गया… तो उसका नया सपना फिर से टूट जाएगा।
उसकी आँखों से आँसू बहे।
“नहीं… इस बार मैं चुप नहीं रहूँगी।
प्रेम के लिए लड़ूँगी!”
उसके चेहरे पर पहली बार दृढ़ संकल्प दिखा।
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✨ अध्याय 5 समाप्त
(अब युद्ध शुरू हो चुका है। अगले अध्याय में वीरेंद्र और वैदेही मिलकर तांत्रिक से भिड़ेंगे—यानी होगा एक्शन, बलिदान और प्रेम की शक्ति का सच्चा इम्तिहान।)
