🌘 अध्याय 3 – दर्द का सच
अगली रात…
गाँव में सब सो चुका था। हर घर का दरवाज़ा बंद था, लेकिन वीरेंद्र के दिल में बेचैनी थी।
वो अकेला, लालटेन लिए फिर से जंगल की ओर बढ़ा।
हवा में वही अजीब सी ठंडक थी। पेड़ों की शाखाएँ हिल रही थीं, जैसे किसी रहस्य को छुपा रही हों।
लेकिन इस बार वीरेंद्र के कदमों में डर से ज़्यादा उत्सुकता थी।
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🌲 दूसरी मुलाक़ात
वो जगह वही थी—टूटा हुआ बरगद का पेड़, चारों तरफ़ फैली काई, और बीच में खड़ी वैदेही।
उसकी आँखों में आज उतनी लालिमा नहीं थी।
वो धीमे स्वर में बोली:
“तुम आ गए… मैंने सोचा था, शायद डरकर नहीं आओगे।”
वीरेंद्र मुस्कुराया:
“डर तो था, मगर उससे ज़्यादा जिज्ञासा थी।
अब मुझे सच सुनना है। तुम्हारे बारे में, इस जंगल के बारे में… सब।”
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🥀 श्राप की शुरुआत
वैदेही ने लंबी साँस ली। उसकी आँखें कहीं दूर अतीत में खो गईं।
“सदियों पहले, मैं एक राजकुमारी थी।
मेरे पिता का राज्य यशस्वी था, और मैं… सबकी प्रिय।
मेरे दिल ने एक योद्धा को चाहा—अरिंदम।
वो बहादुर था, ईमानदार था, और मेरे प्रेम का उत्तर भी प्रेम ही था।”
उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान आई, लेकिन अगले ही क्षण वो दर्द में बदल गई।
“राज्य का तांत्रिक मुझे चाहता था।
वो मुझे पाने के लिए लालायित था।
जब मैंने उसे ठुकराया, उसने काली विद्या से मुझे श्राप दिया।
उसने कहा—
‘तू अमर होगी, परंतु डायन के रूप में। तेरी आँखों में रक्त भरेगा, तेरे बाल सर्पों की तरह लहराएँगे। इंसान तुझसे घृणा करेंगे। तेरा प्रेम अधूरा रहेगा।’
और उसी रात युद्ध में अरिंदम मारा गया।
मैं… अमर हो गई। लेकिन इंसानों की नज़रों में… एक डायन।”
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🌑 वीरेंद्र की प्रतिक्रिया
वीरेंद्र चुपचाप सुनता रहा। उसकी मुट्ठियाँ बंध गईं।
“तो यह सब झूठ है कि तुम इंसानों का खून पीती हो?”
वैदेही की आँखों में आँसू चमक उठे।
“हाँ… मैं कभी किसी को नुकसान नहीं पहुँचाती।
पर लोग मुझे देखकर चीखते हैं, भाग जाते हैं।
सदियों से मैं तन्हा हूँ… इस जंगल से बँधी हुई।”
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💔 दिल का दर्द
उसकी आवाज़ काँपने लगी।
“सोचो… सदियों तक वही रातें, वही चाँद, वही अँधेरा…
कोई साथी नहीं, कोई अपना नहीं।
सिर्फ डर और नफ़रत।”
उसकी आँख से आँसू की एक बूँद गिरी।
वीरेंद्र ने धीरे से कहा:
“तुम्हारे दर्द को अब तक किसी ने नहीं समझा।
लेकिन मैं… तुम्हें इंसान की तरह देख रहा हूँ, राक्षसी की तरह नहीं।”
वैदेही ने पहली बार उसकी आँखों में सीधे देखा।
वहाँ न डर था, न घृणा।
बस अपनापन।
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✨ अध्याय 3 समाप्त
(अब वैदेही का अतीत सामने आ चुका है। अगले अध्याय में धीरे-धीरे प्रेम का अंकुर फूटेगा और दोनों के बीच नया रिश्ता बनेगा।)
